[dc]देश[/dc] उत्सुकता के साथ इसकी प्रतीक्षा कर रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार की शपथ के साथ शुरू हुआ विपक्षी राजनीतिक दलों का शक्ति-प्रदर्शन क्या आने वाले दिनों में किसी राष्ट्रीय महागठबंधन में तब्दील होगा या फिर संसद के एक और हंगामेदार सत्र के बाद अपने-अपने कुनबों और कबीलों में […]
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कहीं एक मोहरा भर तो नहीं हार्दिक?
[dc]किसने[/dc] सोचा था कि जो नरेंद्र मोदी एक सफल मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात में किए गए विकास की उपलब्धियों के आधार पर देश के प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचे थे, उनके उसी प्रदेश के नागरिकों से उन्हें एक दिन दिल्ली में बैठकर शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ेगी और कहना पड़ेगा कि हिंसा […]
मलाला के मुल्क में मासूमों का कत्ल
[dc]शांति[/dc] का नोबेल पुरस्कार ग्रहण करते हुए मलाला यूसुफजई जब अपने दिल के कहीं बहुत भीतर से कह रही थीं कि बच्चों के हाथों में बंदूकें देना आसान है पर किताबें देना मुश्किल, तब पाकिस्तान की स्वात घाटी की इस बहादुर बालिका को अंदाजा नहीं रहा होगा कि कुछ ही दिनों में समूची दुनिया को […]
हमारी भूमिका कहां से शुरू कहां खत्म?
[dc]हरियाणा[/dc] रोडवेज की चलती हुई बस में जब पूजा और आरती नाम की दो बहनें अपने आपको ‘विवादास्पद’ छेड़छाड़ से बचाने के लिए संघर्ष कर रही थीं, तब बस में सवार दूसरे लोग मूकदर्शक बने हुए थे। यकीन किया जाए तो दोनों बहनों के नजदीक बैठी एक महिला ने हिम्मत करके छेड़छाड़ करने वालों का […]
विकास के एजेंडे में सुरक्षा की तलाश
एक राष्ट्रीय सार्वभौम सत्ता के रूप में हम मजबूत होते जा रहे हैं और हम ऐसा सार्वजनिक रूप से
'दंभ' के दायरों से बाहर आए कांग्रेस
[dc]पुराने[/dc] जमाने की हिंदी फिल्मों की स्क्रिप्ट का यह एक अहम दृश्य होता था कि हीरो या हीरोइन की बूढ़ी मां को किसी ‘ट्रेजेडी’ के बाद इतना गहरा सदमा लगता है कि वह जड़ हो जाती है। उसका बोलना-चालना या खाना-पीना बंद हो जाता है। फिल्म की पटकथा में तब एक नकली किस्म का डॉक्टर […]
गांधी की याद आने के मायने
[dc]एक[/dc] ऐसे राष्ट्र के जीवन में, जिसने विकास की उपलब्धियों से साक्षात्कार कर लिया है और जो संपन्नता के रास्तों पर दौड़ लगाते हुए विकसित व्यवस्थाओं की जमात में अपने आपको शामिल देखने के लिए बेचैन हो उठा है, आने वाला समय परीक्षा की घड़ी पेश कर सकता है। बहुत मुमकिन है विकास की जद्दोजहद […]
देश और भाजपा हित में अच्छे नतीजे
[dc]उपचुनावों[/dc] के नतीजों पर प्राप्त हो रही प्रतिक्रियाओं का रुख लगभग सही दिशा में ही है। योगी आदित्यनाथ के तेवर ठंडे पड़ गए हैं और उद्धव ठाकरे के चेहरे पर मुस्कराहट है। पर, प्राप्त परिणामों से इस आशय के कयास भी नहीं लगाए जाने चाहिए कि सरकार के सौ दिन पूरे होते ही विपक्ष के […]
सभी पड़ोसी बराबर हैं, नहीं भी हैं!
[dc]पाकिस्तान[/dc] के साथ विदेश सचिव स्तर की बातचीत को रद्द करके मोदी सरकार ने इस्लामाबाद को जो संदेश दिया है, उसके मायने साफ हैं। पहला तो यही है कि कोई तीन महीने पहले नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ के मौके पर नवाज शरीफ की मौजूदगी से दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्तों […]
परिवर्तनों का श्रेय औरों को देने के खतरे
[dc]अपने[/dc] आसपास जो कुछ भी परिवर्तन होता हुआ हम देख रहे हैं, उसे लेकर हम अभिभूत तो हैं पर साथ ही आशंकित भी। अभिभूत इसलिए कि हम हालातों को लेकर बहुत ही चिंतित और परेशान थे। हमें लगने लगा था कि सबकुछ यंत्रवत हो गया है, चेहरे भी और अवधारणाएं भी। कुछ भी बदलने का […]