समाचारी४मीडिया.कॉम ब्यूरो
समाचार४मीडिया के मीडिया मंथन में दैनिक भास्कर के समूह संपादक श्रवण गर्ग ने प्रिंट मीडिया में संभावनाओं पर चर्चा करते हुए बताया कि देश के बहुत बड़े हिस्से में अभी भी अखबार नहीं पहुंच पा रहे हैं। देश के किसी हिस्से में मात्र १५ से २० फीसदी लोगों तक ही अखबार पहुंच पा रहे हैं। धीरे-धीरे लोग जागरुक हो रहे हैं। जिज्ञासा बढ़ रही हैं। और अखबारों की संख्या भी बढ़ रही हैं। इससे प्रिंट मीडिया की संभावनाएं बन रही हैं। और प्रिंट मीडिया में विस्तार हो रहा है।
वहीं संकट पर उन्होंने बोला कि जैसे-जैसे ब्रॉडबैंड की पहुंच बढ़ेगी हो सकता है कि यह विस्तार प्रिंट मीडिया के लिए एक चुनौती बन सके। इस चुनौती को मीडिया घराने भी समझ चुके हैं और वो भी इसे अपना रहे हैं। जैसे-जैसे डिजिटलाईजेशन का लोकेलाइजेश होगा वैसे ही अखबारों की संख्या सीमित होती जायेगी। अब जो समय आयेगा वो डिजिटल का होगा। वहीं दूसरी बात उन्होंने बताया कि अब अखबार कुछ एक घरानों तक ही सीमित हो गये हैं क्योंकि छोटे प्लेयर्स अखबारों के प्रकाशन का खर्चा नहीं उठा पा रहे हैं और आगे भी नहीं उठा पायेंगे। जिससे बड़े प्लेयर्स ही इस उधोग में बने रहेंगे। उन्होंने साथ ही बताया कि हम लोग एक षड़यंत्र का शिकार हो रहे हैं क्योंकि जो वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की बात कि जा रही हैं उसमें भी छोटे अखबारों को बंद करने की मंशा दिख रही है। क्योंकि छोटे घरानें इसको लागू नहीं कर पायेंगे।
आगे के भविष्य के बारे में उन्होंने बताया कि प्रिंट मीडिया का भविष्य अंनत भी हैं और नहीं भी। क्योंकि प्रिंट मीडिया के घरानें सीमित होते जा रहे हैं। जिससे संभावनाएं कम नज़र आ रही है।
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