[dc]मध्य प्रदेश[/dc] व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले में कितने लोगों की जानें अब तक ज्ञात अथवा रहस्यमय परिस्थितियों में जा चुकी हैं इसकी सही-सही जानकारी उपलब्ध नहीं है. ऐसा संभव हो उसकी ज्यादा उम्मीद भी हाल-फिलहाल नहीं है.एक ताज़ा अनुमान के अनुसार, घोटाले में कथित रूप से सम्बद्ध कोई 32 लोगों की जानें जांच प्रारम्भ होने के बाद से अब तक जा चुकी हैं.विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे इस तरह की मौतों का आंकड़ा सौ के ऊपर बताते हैं.जो आंकड़े आधिकारिक रूप से उपलब्ध हैं उनमें फ़र्जीवाड़े के सिलसिले में अब तक गिरफ्तार किए जा चुके लोगों और एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) द्वारा खोजे जाने वाले फरार लोगों की संख्या की जानकारी ही शामिल है.
जेलों में बंद लोगों में कई बड़े-बड़े नाम शामिल हैं. शिक्षा के क्षेत्र के अब तक के इस सबसे कुख्यात घोटाले का अंत कब और कैसे होगा कुछ भी नहीं कहा जा सकता.
[dc]जेलों[/dc] में बंद लोगों और उनके परिवारजनों की मानसिक और शारीरिक स्थितियों को लेकर किसी भी स्तर पर कोई चिंता या पहल व्यक्त नहीं हो रही है. मीडिया में भी व्यापमं घोटाले को लेकर बहुत ज्यादा हो-हल्ला नहीं है और न ही सामान्य जनता के स्तर पर ही कुछ नया जानने की उत्सुकता है.
पर फ़र्जीवाड़े की गंभीरता का अंदाजा केवल इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि अकेले ग्वालियर क्षेत्र में ही अब तक साढ़े तीन सौ लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, लगभग अस्सी लोग और पकड़े जाने हैं. पकड़े गए लोगों में फ़र्जी छात्र, सॉल्वर्स, दलाल, रैकेटियर्स और अभिभावक शामिल हैं.
न्यायालय के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में जिन 32 लोगों की मौतों का जिक्र किया गया है उनमें अधिकांश चम्बल क्षेत्र के बताए जाते हैं. फ़र्जीवाड़े की जांच एसटीएफ कर रही है और उसकी मदद के लिए ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, सागर, रीवां और भोपाल में एसआईटी गठित की गई है.
एसआईटी के मामलों की अलग से सुनवाई के लिए अकेले ग्वालियर में ही चार विशेष कोर्ट स्थापित की गई हैं. शेष पांच जिलों में एक-एक विशेष कोर्ट हैं.
[dc]इसी[/dc] बीच जांच प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. आरोप है कि जिन लोगों ने अपनी जगह दूसरे व्यक्ति को बैठा कर परीक्षा पास की उनके खिलाफ अगर अग्रिम जांच करवाई जाती तो फ़र्जीवाड़े में शामिल अन्य आरोपियों के नामों का भी खुलासा हो सकता था.
जिन ‘व्हिसिल ब्लोअर्स’ ने व्यापमं के फ़र्जीवाड़े को लेकर समय-समय पर आवाज़ उठाई वे भी अपनी सुरक्षा को लेकर अब सवाल उठा रहे हैं.फ़र्जीवाड़े का एक दुखद पहलू यह भी है कि इससे जुड़ा मानवीय पक्ष नजरअंदाज हो रहा है और समूचे प्रकरण का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए किया जा रहा है.
मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव के पुत्र शैलेश की जिन परिस्थियों में मौत हुई थी उससे फ़र्जीवाड़े को लेकर उजागर होने वाले नामों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए थे. फ़र्जीवाड़े को लेकर होने वाली रहस्यमय मौतों के नए-नए किस्से तो उजागर हो रहे हैं पर राजनीतिक स्तर पर जिस तरह की संवेदनशील प्रतिक्रिया की अपेक्षा की जाती है वह अभी किसी भी स्तर पर व्यक्त नहीं हो रही है.
[dc]मुख्यमंत्री[/dc] शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि व्यापमं फ़र्जीवाड़े का पर्दाफ़ाश उनकी सरकार ने ही किया है और कि इसकी जांच भी पूरी तरह से निष्पक्ष तरीके से की जा रही है. तमाम दोषियों को सजा भी दिलवाई जाएगी. सवाल यह है कि इस तरह का रैकेट प्रदेश में शासन-प्रशासन की ठीक नाक के नीचे इतने वर्षों से कैसे चल रहा था? व्यापमं की निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए नियुक्त जिम्मेदार लोग भी फ़र्जीवाड़े में शामिल पाए गए और वे अब जेलों में बंद हैं.
सत्तापक्ष से जुड़े कतिपय राजनेताओं की भूमिका भी संदेहों के घेरों में आ गई. शिवराज सिंह मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा और उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) भी इस समय अन्य लोगों के साथ जेल में बंद हैं. व्यापमं फ़र्जीवाड़े के जरिए वर्षों तक हजारों योग्य एवं होनहार छात्रों के भविष्य के साथ क्यों खिलवाड़ होता रहा इसका जवाब कभी भी नहीं मिलने वाला.