'अच्छे दिन' आसानी से नहीं आएंगे

[dc]न[/dc]रेंद्र मोदी देश के मुसलमानों को अपने नजदीक लाना चाहते हैं, पर उनकी ही पार्टी और संघ परिवार से जुड़े कट्टरवादी संगठनों के कुछ नेता अपना पूरा प्रयास कर रहे हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री को अगर देश का प्रधानमंत्री पद संभालना है तो उन्हें एक हिंदूवादी नेता ही बने रहना पड़ेगा। ये नेता नहीं चाहते कि मोदी बनारस पहुंचकर मुस्लिमों का दिल जीतने में जुट जाएं और फिर मुसलमान भी अपना गुस्सा थूककर उनसे प्यार करने लगें। मोदी ने हाल ही में कहा था : ”एक बार जब मैं उनसे (मुस्लिमों से) मिलूंगा तो वे भी मुझसे प्यार करने लगेंगे।” बिहार के नवादा जिले से भाजपा की ओर से जोर-आजमाइश कर रहे तिलकधारी नेता गिरिराज सिंह और विश्व हिंदू परिषद के महासचिव प्रवीण तोगड़िया के ताजा बयानों पर गौर किया जाए तो दोनों ही अपनी इन कोशिशों में सफल होते नजर आ रहे हैं कि देश के मुसलमान मोदी के नजदीक नहीं फटकने पाएं। गिरिराज सिंह का कहना है कि मोदी का विरोध करने वालों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए और तोगड़िया का कहना है कि बहुसंख्यकों की आबादी वाले इलाकों से अल्पसंख्यकों को अपने मकान खाली कर देना चाहिए। डॉ. तोगड़िया यह भी समझाते हैं कि अगर ऐसा नहीं होता है तो आगे क्या कार्रवाई की जानी चाहिए। वे संभवत: देश के भीतर ही छोटे-बड़े ‘पाकिस्तान और हिंदुस्तान’ बनवा देना चाहते हैं। भाजपा और संघ का बहादुर नेतृत्व गिरिराज सिंह और डॉ. तोगड़िया के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में अपने आपको इतना असहाय महसूस कर रहा है कि सार्वजनिक रूप से उनकी भर्त्सना भी नहीं करना चाहता। डॉ. तोगड़िया भी भाजपा की मौजूदा कमजोरी को अच्छे-से समझते हैं। उन्हें पता है कि चुनावों के बाद मोदी अपने विरोधियों के साथ किस तरह से निपटने वाले हैं, पर भाजपा और संघ अगर आज कोई कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाते हैं तो बाकी बची महत्वपूर्ण सीटों के लिए होने वाले मतदान पर उसका असर कट्टरपंथी हिंदुओं की नाराजगी में व्यक्त हो सकता है। यानी कार्रवाई न करने पर मुस्लिम वोट और करने पर हिंदू वोट मोदी के हाथ से जा सकता है। भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों में उपस्थित मोदी-विरोधियों की कोशिश यही दिखाई पड़ती है कि गुजरात के मुख्यमंत्री को दिल्ली की सत्ता में नहीं आने देने के प्रयास में विपक्षी दलों को परोक्ष रूप से सहयोग पहुंचाया जा सकता है। जो लोग गुजरात के राजनीतिक मॉडल से परिचित हैं, उन्हें पता है कि नरेंद्र मोदी ने डॉ. तोगड़िया और विश्व हिंदू परिषद के प्रभाव को किस तरह से नियंत्रित करके रखा था। नरेंद्र मोदी देश को यह जताने में रात-दिन एक कर रहे हैं कि चूंकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल उनके नेतृत्व से खौफ खाते हैं, इसीलिए वे उन्हें प्रधानमंत्री बनने से रोक रहे हैं। प्रवीण तोगड़िया का ताजा बयान संकेत है कि मोदी को रोकने की कोशिशें वास्तव में तो उनके ही खेमों से ज्यादा हो रही हैं, विपक्षी दल तो केवल हवा देने के काम में लगे हैं। अत: तमाम अवरोधों के बावजूद अगर नरेंद्र मोदी सत्ता में आ जाते हैं तो उन्हें पता है कि जिस सफाई की बात वे कर रहे हैं, उसकी शुरुआत उन्हें अंदर से ही करना पड़ेगी, जो कि वर्तमान से ज्यादा कठिन काम होगा। मोदी के अच्छे दिन आसानी से नहीं आएंगे।

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