यात्राओं में ऐसा तो होता ही है।
बहुत सारे लोग
जो साथ थे कल शाम तक
आज नहीं हैं पास
हवा भी तो बदल गई है
आसपास की
जगहों के बदलने के साथ-साथ
लोग भी बदल जाते हैं –
और साथ ही
हवा, पानी और ज़मीन भी।
केवल चाहने भर से ही
नहीं हो जाते हैं
पहाड़ों के क़द छोटे
या कि यात्राएं आसान।
और फिर ज़रूरी भी है
आदमी को एहसास कराने
के लिए उसकी पहुंच का,
पहाड़ों का ऊंचे बने रहना।
तुम अपने किस्से-कहानियों में
जिक्र करना मत भूलना
इन कठिनाइयों का।
यात्राओं में ऐसा तो होता ही है।