[dc]कां[/dc]ग्रेस ने चुनावी मैदान में उतरने से पहले ही जनता का विश्वास गंवा दिया। गुरुवार को संसद की गरिमा पर चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा ही प्रहार किया गया और समूची सरकार पूरा नजारा इस तरह देखती रही मानो देश के संसदीय सम्मान को शर्मसार करने का समूचा षड्यंत्र पहले से ही उसकी जानकारी में था। तेलंगाना पर विधेयक को पेश न होने देने के मुद्दे पर ही अगर आंध्र-विभाजन के विरोधियों द्वारा संसद के अंदर इतनी ‘हिंसा’ का इस्तेमाल किया जा सकता है तो कल्पना की जा सकती है कि राज्य का बंटवारा हो जाने पर हैदराबाद की सड़कें किस कदर लहूलुहान होने वाली हैं। शक नहीं रहना चाहिए कि सीमांध्र के जिन भी सांसदों ने गुरुवार को उत्पात मचाया, वे निश्चित ही फिर से चुनाव जीतकर संसद में भी पहुंच जाएंगे और सरकारों को बनवाने और गिरवाने के खेल में अपनी हथेलियां भी सेंकेंगे। मुमकिन है वे तमाम पार्टियां जो नैतिकता की दुहाई देते हुए मिर्ची का पाउडर उड़ाने वालों, माइक और कंप्यूटर तोड़ने वालों और विधेयक की प्रतियां फाड़ने वालों की आज भर्त्सना कर रही हैं, वे ही चुनावों के बाद अपनी सरकारें बनाने के लिए उन्हें गले लगाने की होड़ में भी जुट जाएं। अगर ऐसा नहीं है तो फिर कांग्रेस और भाजपा सहित तमाम दल देश को आश्वस्त करें कि जिन सांसदों ने संसद के सम्मान का इस तरह से अपहरण किया है, उन्हें न तो चुनाव के लिए टिकट दिए जाएंगे और न ही उनका समर्थन लिया जाएगा। हकीकत यह है कि ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है। जो लोग संसद की आंखों में मिर्ची का पाउडर स्प्रे कर सकते हैं, वे देश की आंखों में भी सफलतापूर्वक धूल झोंक सकते हैं। बहुत संभव है लोकसभा को अपनी ‘आतंकी’ कार्रवाई से बंधक बनाने वाले सांसद निलंबन के बाद जब अपने चुनाव क्षेत्रों में लौटें तो विजयी योद्धाओं की तरह उनका सम्मान किया जाए। देश की राजनीति को उसके निम्नतम स्तर पर ले जाने के दोष से कांग्रेस अपने आपको कभी मुक्त नहीं कर पाएगी। गुरुवार को देखे गए काले कारनामे के अलावा देश की जनता के लिए यह भी कम अपमानजनक नहीं है कि चालू पंद्रहवीं लोकसभा में सत्रह प्रतिशत विधेयक पांच मिनट से भी कम की चर्चा के बाद पारित कर दिए गए। सरकार में साहस हो तो वह उत्पाती सांसदों की सदस्यता को रद्द कर उनकी आपराधिक मामलों के तहत गिरफ्तारी करने की पहल करके दिखाए।
पुनश्च : उल्लेख किया जाना जरूरी है कि कांग्रेसी और भाजपा विधायकों ने मिलकर दिल्ली विधानसभा में अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ लगभग वैसा ही शर्मनाक कृत्य दोहराया, जैसा कि इससे पूर्व दिन में लोकसभा में सीमांध्र के सांसदों ने किया था। सिद्ध हुआ कि हमाम में सब नंगे हैं।